ना रूकूँगा कभी, ना झुकूँगा कभी
अपनी वजूद समय को दिखलाऊँगा !
क्या हुआ गर मुझमें सूरज सा तेज नहीं
पर दीपक बन रौशन अपनी हदें करूँगा
चला था एक दिन दिल मे ये सङ्कल्प लिये
ना रूकूँगा कभी, ना झुकूँगा कभी
अपनी वजूद समय को दिखलाऊँगा !
अटल है जिद मेरी क्षितिज़ पार जाने की
चाहे लाख कोशिश करे तकदीर झुकाने की
है बुलंद होशला पथरो सा हर आंधी से टकराऊँगा
चाहे जितनी हो मुश्किलें एक पल को ना घबराऊँगा
चला था एक दिन दिल मे ये सङ्कल्प लिये
ना रूकूँगा कभी, ना झुकूँगा कभी
अपनी वजूद समय को दिखलाऊँगा !