Monday, 28 December 2020

एक सङ्कल्प

चला था एक दिन दिल मे ये सङ्कल्प लिये
ना रूकूँगा कभी,  ना झुकूँगा कभी 
अपनी वजूद समय को दिखलाऊँगा !
क्या हुआ गर मुझमें सूरज सा तेज नहीं 
पर दीपक बन रौशन अपनी हदें करूँगा 
चला था एक दिन दिल मे ये सङ्कल्प लिये
ना रूकूँगा कभी,  ना झुकूँगा कभी 
अपनी वजूद समय को दिखलाऊँगा !
अटल है जिद मेरी क्षितिज़ पार जाने की 
चाहे लाख कोशिश करे तकदीर झुकाने की 
है बुलंद होशला पथरो सा हर आंधी से टकराऊँगा 
चाहे जितनी हो मुश्किलें एक पल को ना घबराऊँगा 
चला था एक दिन दिल मे ये सङ्कल्प लिये
ना रूकूँगा कभी, ना झुकूँगा कभी 
अपनी वजूद समय को दिखलाऊँगा !


हे प्रभु , ये कैसी बिडम्बना है ! (Corona Pandemic)

 काल बैठा आज समय चक्र पे  कर रहा तांडव नृत्य है  घुट घुट सिमट रही ज़िन्दगी  लाचार सिस्टम की व्यस्था है  हे प्रभु , ये कैसी बिडम्बना है ! लिपट...