Sunday, 6 January 2013

रोग ये कैसा दिल को लगा

रोग ये कैसा दिल को लगा
की दर्द पाकर भी है मुस्कुरा रहा
खुद से मुझको जुदा कर
पास वो तुम्हे है बुला रहा.
जादू ये तूने ऐसा क्या किया
जो ये दिल मेरा होकर भी मेरा न रहा.
होकर दीवाना ये तेरी चाहत में
न जाने किस रस्ते में है चल रहा.
करू चाहे लाख जितना भी जतन
पर कहाँ अब ये मेरी सुन रहा.
रोग ये कैसा दिल को लगा
की दर्द पाकर भी है मुस्कुरा रहा.....


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